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Friday, 24 August 2012

नही

अब मेरे दर्द का अंदाज़ नही
तुम जो कल थे वो आज नही

हर किसी से ये नही निभता
प्यार रवायत ओ रिवाज़ नही

मेरी बात ग़ज़ल में कह दूँगा
फिर कभी मगर आज नही

वो चला गया उसे जाना था
गया है मुझ से नाराज़ नही

बातें ऐसी हैं कि प्यार मिले
बस मेरे पास अंदाज़ नही

किस हाल में हूं जान ने के सिवा
उस को भी काम काज़ नही

मेरी सोच भी खुदा जैसी है
आख़िर नही आगाज़ नही

कत्ल कर के सर उठा के चल
मूह छुपाने का याँ रिवाज़ नही

तुम ने क्या खो दिया मासूम
ये समझोगे मगर आज नही

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