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Tuesday, 4 September 2012

मै दीवाना क्यूँ हो गया

वो दूर खड़ा कोई पास बुलाये
खाना नहीं बस याद खिलाये

या मौला किस्मत में क्या लिख दिया
मिलती नहीं वो बस याद पिलाये

रगों में मेरे अब तो तेरा ही नाम
जुबाँ पर मेरे बस तो तेरा ही नाम

ये जर्रा जर्रा डूबा है तुझमे
कलम लिखती है मेरी तो तेरा ही नाम

ये तन्हाई का कायल मै क्यूँ हो गया
तुम बिन वीराना सब क्यूँ हो गया

लोग कहते हैं की ये प्यार का गम है
उफ़ ये दीवाना मै क्यूँ हो गया.

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