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Sunday, 2 September 2012

तू ही तू .....

ओ हंसीं जानशीं, ओ मेरी प्यारी परी
कर दीवाना मुझे, तू कहाँ छुप गयी
वो तेरे साथ मेरी क्षणिक मुलाकात
तेरी यादें जेहन में, बसा के गयी ।

मेरे ख्वाबों में जब भी, तू आये नज़र 
बाहें बेताब हों, जाती हैं इस कदर 
चाहूँ बस रहना तेरे ही आगोश में 
तेरी खुशबु का जाने, ये कैसा असर ।।

तू मेरी रूह में, इस तरह घुल गयी 
मेरी हर सांस से, जैसे लिपटी हो तू 
जब भी सोचूं तुझे जाने होता है क्या 
हर जगह, हर तरफ, होती है तू ही तू ।

स्वप्न मंडप की मेरे, दुल्हन तू ही है 
तू ही मेरी ज़मीन है, गगन तू ही है
तू ही मेरा खुदा और खुदा की कसम
मेरी रानी तो अब, हर जनम तू ही है ।।

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