Pages

Wednesday, 19 September 2012

कसुरवार और गुनाहगार

गैरों को गले लगा के वो बोले, तू है कसूरवार इस रिश्ते की..
तू है गुनाहगार मेरे दुखों की, कौन चाह्ता है
अपने प्यार को खो देना,
क्या यही सज़ा मिलती है किसी को वफा करने की..

No comments:

Post a Comment