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Sunday, 2 September 2012

ये वक़्त बहुत अच्छा था

तेरा ये दोस्त, कमीना था बस दिखता भोला बच्चा था
ये दोस्ती का रिश्ता, नाजुक था फिर भी पक्का था
मीठे पलों  की गिनती उसने भले नहीं करी होगी
पर उसका साथ, जितना भी था,  एकदम  सच्चा था
मस्ती, मजाक, आंसू, दर्द, हैरत हों या फिर परेशानी
पुच्के, किस्से, हंसी, अजीब हरकतें हों या कोई शैतानी
इनकी तसवीरें नही मुमकिन, न उसके पास कोई और निशानी
बस उसका दिल है गवाह, की तेरे संग गुजरा ये वक़्त बहुत अच्छा था

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