रात भर एहसास से एहसास टकराते रहे।
आए सनम आगोश मे शिकवे-गिले जाते रहे॥
दूरियां अब दूरियों से पूछती हैं दूरियां।
होंठ न कह पाए कुछ सांसों से थर्राते रहे॥
हाथ आए हाथ मे सब मन्नतें पूरी हुईं।
मेरे उनके दरमियाँ लम्हे भी मुसकाते रहे॥
करवटें-दर-करवटें थकता नहीं हममे कोई।
जिंदगी के पैराहन पर रंग बरसते रहे॥
''इश्क'' है इतनी ही ख्वाहिश आशनाई मे।
ख्वाब कुछ इस तरह के ही रात मे आते रहें॥
आए सनम आगोश मे शिकवे-गिले जाते रहे॥
दूरियां अब दूरियों से पूछती हैं दूरियां।
होंठ न कह पाए कुछ सांसों से थर्राते रहे॥
हाथ आए हाथ मे सब मन्नतें पूरी हुईं।
मेरे उनके दरमियाँ लम्हे भी मुसकाते रहे॥
करवटें-दर-करवटें थकता नहीं हममे कोई।
जिंदगी के पैराहन पर रंग बरसते रहे॥
''इश्क'' है इतनी ही ख्वाहिश आशनाई मे।
ख्वाब कुछ इस तरह के ही रात मे आते रहें॥
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