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Saturday, 14 July 2012

धूप

सर्दी के मौसम में आकर,
सबके प्राण बचाती धूप.
पर जैसे ही आती गर्मी,
अंगारे बरसाती धूप.

सूरज दादा का संदेशा,
धरती तक पहुंचाती धूप,
सारे दिन यह हँसती गाती,
शाम ढले छिप जाती धूप.

कभी ठिठुरती इस धरती को,
किरणों से नहलाती धूप.
और कभी गुस्सा हो जाती,
लू से हमें सताती धूप.

पर्वत की ऊँची छोटी पर,
मंद मंद मुस्काती धूप.
नदियों के बहते पानी में,
लहरों के संग गाती धूप.

धरती के कोने कोने को,
सोने सा चमकाती धूप.
सारा जग आलोकित कर दो,
सीख हमें सिखलाती धूप.

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