खुल गया बजट का पिटारा,
हर किसी का सवाल आया.
क्या फिर कुछ राहत लाया,
ये तो आम आदमी की माया.
नेता को तो बस बोलना आया,
महंगा महंगा तो वो चिल्लाया.
फिर लगी income टैक्स की महादशा,
जनता में कोई न बचा.
प्रणव की ऐसी चढ़ी,
हर किसी को जोर की पड़ी.
बजट की ऐसी क्रिया,
जीवन का क्रिया कर्म किया.
जनता के वोट का,
ये कैसा बदला लिया.
हर किसी का सवाल आया.
क्या फिर कुछ राहत लाया,
ये तो आम आदमी की माया.
नेता को तो बस बोलना आया,
महंगा महंगा तो वो चिल्लाया.
फिर लगी income टैक्स की महादशा,
जनता में कोई न बचा.
प्रणव की ऐसी चढ़ी,
हर किसी को जोर की पड़ी.
बजट की ऐसी क्रिया,
जीवन का क्रिया कर्म किया.
जनता के वोट का,
ये कैसा बदला लिया.
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