आज का दिन भी
ढल गया
फिर रात
गहराने लगी है
इसके बाद सुबह होगी
वह भी धीरे-धीरे
दोपहर, शाम और रात में
बदल जाएगी
इसी तरह
दिन पर दिन
कैलेण्डर पर तारीखें
बदलती रहेंगी
इन्हीं में से
कोई एक
मेरी अंतिम तारीख होगी
और दीवार पर मैं
एक तस्वीर बनकर
टंग जाऊँगा
आगे की
सभी तारीखों के लिए।
ढल गया
फिर रात
गहराने लगी है
इसके बाद सुबह होगी
वह भी धीरे-धीरे
दोपहर, शाम और रात में
बदल जाएगी
इसी तरह
दिन पर दिन
कैलेण्डर पर तारीखें
बदलती रहेंगी
इन्हीं में से
कोई एक
मेरी अंतिम तारीख होगी
और दीवार पर मैं
एक तस्वीर बनकर
टंग जाऊँगा
आगे की
सभी तारीखों के लिए।
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