यह सुबह अभी ही हुई थी,
रात कैसे हो गई
पानी बरसता है बादलों से,
हर इक बूँद तेज़ाब कैसे हो गई.
गाँव में सीता थी,
सती!
शहर में बर्बाद कैसे हो गई.
नंगी नज़रों के छुरों से तार-तार हो जाती है-
इज्ज़त!
चौराहों पर.
पांच बरस की मुन्नी,
छुटपन में ही बदनाम कैसे हो गई?
ऊँचे मकान,ऊँची पँहुच-
किसी का खाब होते हैं.
किसी की आबरू से खेलना,
क्यूँ किसी की हसरत हो गई.
जिस बाप की परी होनी चाहिए थी बेटी,
क्यूँ उसके लिए बोझ हो गई.
वहशियों की पटरी तो उतर जानी चाहिए थी
क्यूँ मौजों की रेलगाड़ी हो गई.
जाम से जाम टकराना गंगा स्नान हुआ.
सलीब पर टंगा है भोला-भाला-
"ओछेपन से रिश्तेदारी हर एक की हो गई".
हर एक को खबर है अब;
मनचलों की चांदी हो गई.
"अजी! किवाड़ लगा दो,
अपनी शीला जवान हो गई".
ओखली में सर रखा
ज़िन्दगी की शाम हो गई.
दुखी है नंदू क्यूँ उसके घर
औलाद "लड़की हो गई".
बड़ी गलतफहमी है,चूक नहीं;
किस्मत खुल गई.
आ बता दे हर एक मुसाफिर को बेटी-
तेरा घर नहीं रास्ता
क्या हुआ जो रात हो गई.
किस ठेकेदार ने बनाये थे मकाँ,
'आलिशां' आम हो गए
ताली बजाने वालों अब और जोर से बजाना तालियाँ,
हर एक घर में जाकर-
हर इक औलाद आम नहीं ख़ास हो गई.
रात कैसे हो गई
पानी बरसता है बादलों से,
हर इक बूँद तेज़ाब कैसे हो गई.
गाँव में सीता थी,
सती!
शहर में बर्बाद कैसे हो गई.
नंगी नज़रों के छुरों से तार-तार हो जाती है-
इज्ज़त!
चौराहों पर.
पांच बरस की मुन्नी,
छुटपन में ही बदनाम कैसे हो गई?
ऊँचे मकान,ऊँची पँहुच-
किसी का खाब होते हैं.
किसी की आबरू से खेलना,
क्यूँ किसी की हसरत हो गई.
जिस बाप की परी होनी चाहिए थी बेटी,
क्यूँ उसके लिए बोझ हो गई.
वहशियों की पटरी तो उतर जानी चाहिए थी
क्यूँ मौजों की रेलगाड़ी हो गई.
जाम से जाम टकराना गंगा स्नान हुआ.
सलीब पर टंगा है भोला-भाला-
"ओछेपन से रिश्तेदारी हर एक की हो गई".
हर एक को खबर है अब;
मनचलों की चांदी हो गई.
"अजी! किवाड़ लगा दो,
अपनी शीला जवान हो गई".
ओखली में सर रखा
ज़िन्दगी की शाम हो गई.
दुखी है नंदू क्यूँ उसके घर
औलाद "लड़की हो गई".
बड़ी गलतफहमी है,चूक नहीं;
किस्मत खुल गई.
आ बता दे हर एक मुसाफिर को बेटी-
तेरा घर नहीं रास्ता
क्या हुआ जो रात हो गई.
किस ठेकेदार ने बनाये थे मकाँ,
'आलिशां' आम हो गए
ताली बजाने वालों अब और जोर से बजाना तालियाँ,
हर एक घर में जाकर-
हर इक औलाद आम नहीं ख़ास हो गई.
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