नज़र की प्यास बुझाने का हौसला न हुआ
मिले तो लब भी हिलाने का हौसला न हुआ
पुकारती ही रही दुर्र तक उसे नज़रें
मगर जुबान से बुलाने का हौसला ना हुआ
मिले तो लब भी हिलाने का हौसला न हुआ
पुकारती ही रही दुर्र तक उसे नज़रें
मगर जुबान से बुलाने का हौसला ना हुआ
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