चुपके से सेहर आये तो लगता है के तुम हो
उम्मीद जो बढ़ आये तो लगता है के तुम हो
जब दिल की कोई बात बताने से भी पहले
आँखों में उतर आये तो लगता है के तुम हो
खामोश सुरों में कोई नाघ्मा सा समोए
शबनम जो बिखर जाये तो लगता है के तुम हो
जब शाम ढले कोई कसक ,दिल को दुखाकर
चुपचाप उभर आये तो लगता है के तुम हो
उम्मीद जो बढ़ आये तो लगता है के तुम हो
जब दिल की कोई बात बताने से भी पहले
आँखों में उतर आये तो लगता है के तुम हो
खामोश सुरों में कोई नाघ्मा सा समोए
शबनम जो बिखर जाये तो लगता है के तुम हो
जब शाम ढले कोई कसक ,दिल को दुखाकर
चुपचाप उभर आये तो लगता है के तुम हो
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