दूरी को अपनी बढाना नहीं था
हमें प्यार को आज़माना नहीं था.
ना ही हाथ पकड़ा,ना कोई गुज़ारिश
ठहरने का कोई बहाना नहीं था
वो वसलों के सपने,वो खुशबू बदन की
मैं जागी तो तेरा ठिकाना नहीं था
वो लैला के क़िस्से,वो रांझे की बातें
जुदा सबसे उनका,फसाना नहीं था
कि दामन पे उनके कई दाग आए
इन आंसू को ऐसे गिराना नहीं था
हमें प्यार को आज़माना नहीं था.
ना ही हाथ पकड़ा,ना कोई गुज़ारिश
ठहरने का कोई बहाना नहीं था
वो वसलों के सपने,वो खुशबू बदन की
मैं जागी तो तेरा ठिकाना नहीं था
वो लैला के क़िस्से,वो रांझे की बातें
जुदा सबसे उनका,फसाना नहीं था
कि दामन पे उनके कई दाग आए
इन आंसू को ऐसे गिराना नहीं था
No comments:
Post a Comment