मै जब भी तेरा रूप गडता हु तो सांचे टूट जाते है,
तेरी बाहो के आलिंगन मे नजारे भूल जाते है
तेरी मद भरी आंखो को क्या मालूम ओ जानेजा,
चलते मुसाफिर भी अक्सर रस्ते भूल जाते है
तेरी बाहो के आलिंगन मे नजारे भूल जाते है
तेरी मद भरी आंखो को क्या मालूम ओ जानेजा,
चलते मुसाफिर भी अक्सर रस्ते भूल जाते है
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