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Wednesday 29 August 2012

पैगाम

जब नज़रे तुम पर पड़ती हैं,
तब साँसे मेरी बढती हैं|
जब साँसे मेरी चलती हैं,
वो याद तुम्हे बस करती हैं|
जब याद तुम्हारी आती है,
बस आंसू ही कुछ कहते हैं|
जब आंसू मेरे बहते हैं,
दिल में एक दर्द सा उठता है|
जब दिल मेरा यूँ रोता है,
एहसास अजब सा होता है|
जब हवा मुझे यूँ छूती है,
मेरे कानो में कुछ ये कहती है|
जब लहरों से मै लडती हूँ,
कुछ हिम्मत मुझमे आती है|
हम जल्द ही फिर से साथ होंगे,
शायद यही पैगाम ये देती है|

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