क्या शरारत वहां कर रही चांदनी
रात भर खिडकियों पर रही चांदनी
मैं तुम्हारे लिये गीत गाने लगा-
इसलिये आजकल डर रही चांदनी
सब तुझे खोजते ही रहे उम्र भर-
तू छुपी सबके भीतर रही चांदनी
फूल से सीख ली हैं सभी हरकतें
हंस रही, खिल रही, झर रही चांदनी
आइना देखने की ज़रूरत नहीं-
आपके हुस्न पे मर रही चांदनी
"कृष्ण" की बांसुरी की मधुर गूंज पर
रात भर घर से बाहर रही चांदनी
रात भर खिडकियों पर रही चांदनी
मैं तुम्हारे लिये गीत गाने लगा-
इसलिये आजकल डर रही चांदनी
सब तुझे खोजते ही रहे उम्र भर-
तू छुपी सबके भीतर रही चांदनी
फूल से सीख ली हैं सभी हरकतें
हंस रही, खिल रही, झर रही चांदनी
आइना देखने की ज़रूरत नहीं-
आपके हुस्न पे मर रही चांदनी
"कृष्ण" की बांसुरी की मधुर गूंज पर
रात भर घर से बाहर रही चांदनी
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