Upcoming Hollywood & Bollywood Watch Online Movies

Saturday, 18 August 2012

एक हिंदी ग़ज़ल :चांदनी

क्या शरारत वहां कर रही चांदनी
रात भर खिडकियों पर रही चांदनी

मैं तुम्हारे लिये गीत गाने लगा-
इसलिये आजकल डर रही चांदनी

सब तुझे खोजते ही रहे उम्र भर-
तू छुपी सबके भीतर रही चांदनी

फूल से सीख ली हैं सभी हरकतें
हंस रही, खिल रही, झर रही चांदनी

आइना देखने की ज़रूरत नहीं-
आपके हुस्न पे मर रही चांदनी

"कृष्ण" की बांसुरी की मधुर गूंज पर
रात भर घर से बाहर रही चांदनी

No comments:

Post a Comment