जिंदगी में जख्म ही जख्म मिले हर घड़ी
कभी भी कोई मरहम लगाने वाला नहीं मिला
तन्हा ही चलते ही रहे हर वक्त हर जगह
कभी भी कोई साथ निभाने वाला नहीं मिला
चाहत ही रह गयी कर जाऊं फ़ना खुद को
कभी भी कोई प्यार जताने वाला नहीं मिला
नहीं लगता मिलेगा कब्र में भी आराम
कभी भी कोई मय्यत सजाने वाला नहीं मिला
कभी भी कोई मरहम लगाने वाला नहीं मिला
तन्हा ही चलते ही रहे हर वक्त हर जगह
कभी भी कोई साथ निभाने वाला नहीं मिला
चाहत ही रह गयी कर जाऊं फ़ना खुद को
कभी भी कोई प्यार जताने वाला नहीं मिला
नहीं लगता मिलेगा कब्र में भी आराम
कभी भी कोई मय्यत सजाने वाला नहीं मिला
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