बिछड़ के मुझ से बिछड़ नहीं जाता
एक ज़ख्म हर हाल में भर नहीं जाता
बारिसो के भीड़ में कोई बेईमाँ भी है
एक बादल किसी तरह बरस नहीं जाता
अपनी वह्सतो में अक्सर देता है सदा
मैं निहायत अडीयल मगर नहीं जाता
क्या क्या सवालात लोग पूछते है मुझे
क्यूँ उस से मिलने आज कल नहीं जाता
कसक ए वस्ल भी और उसकी खुद्दारी
जानता हूँ वो नहीं आता मैं गर नहीं जाता
एक ज़ख्म हर हाल में भर नहीं जाता
बारिसो के भीड़ में कोई बेईमाँ भी है
एक बादल किसी तरह बरस नहीं जाता
अपनी वह्सतो में अक्सर देता है सदा
मैं निहायत अडीयल मगर नहीं जाता
क्या क्या सवालात लोग पूछते है मुझे
क्यूँ उस से मिलने आज कल नहीं जाता
कसक ए वस्ल भी और उसकी खुद्दारी
जानता हूँ वो नहीं आता मैं गर नहीं जाता
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