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Tuesday, 14 August 2012

शब्दों में बाँधू

में शब्दों में कैसे बाँधू प्रिया
तेरी प्रीत की इन लय तानों को

जब से आये तुम जीवन में
अँखियाँ देखें तेरा मुखड़ा
हटने को नज़र तैयार नहीं
भूल गयीं जग का दुखड़ा
झिलमिल अंखियों के सागर में
नैया दिल की है डूबने को

शब्दों में बाँधू….

जीवन का हर पहलू रोशन
जगमग अधरों के मोती से
संगीत मधुर है इक गुंजन
स्वर गुंजित मंदिर घंटी से
मेरे घर का हर कोना रोशन
सुर भी आतुर हैं बसने को

शब्दों में बाँधू….

पग पग पर साथ जो है तेरा
डर कोई नहीं तूफानों से
सरिता सा सरल है अब जीवन
बहता ही गया पाषणों से
बंधा जो तेरी प्रीत के डोर से मैं
तिरना चहुँ शत जन्मों को

शब्दों में बाँधू कैसे प्रिया
तेरी प्रीत की इन लय तानों को

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