वो माँ का आँचल वो पापा के कंधे
वो भाई बहनों का प्यार वो बचपन की तकरार
याद आते हैं आज भी वो बचपन के दिन चार
बचपन की मासूमियत बचपन का वो प्यार
कहाँ गयी वो यादें वो अपना छोटा सा संसार
क्यों करते है आज हम आपस में तकरार
कभी कभी मैं सोचता हूँ
ये बड़ा होना है बेकार
फिर ख्याल आता है अगर ऐसा होगा
तो कैसे चलेगा ये संसार ..?
क्यों हम अपनी जवानी में सब कुछ भुला देते हैं
वो माँ का प्यार वो पापा का दुलार
न जाने हम उनको क्यों रुला देते है
खुद आधी रोटी खा कर भर पेट खिलाया हमको
खुद आधे बिस्तर पर सोकर रजाई में सुलाया हमको
क्या यही दिन देखने के लिए बड़ा किया उन्होंने हमको
हम तब भी उनके लिए बच्चे थे हम अब भी उनके लिए बच्चे हैं
वो तब भी प्यार करते थे वो अब भी प्यार करते हैं
क्यों नहीं सोचते हम
कल हम को भी बड़ा होना है
जिस जगह पर आज वो हैं …
उसी जगह पर अपने को पाना है .
जो उन्होंने सहा है
क्या हम सह पाएंगे
उनके अन्दर जो शक्ति है
क्या हम अपने अन्दर रख पायेंगे
अपने ही बच्चो के मुँह से क्या हम इतना सुन पायेंगे......
वो भाई बहनों का प्यार वो बचपन की तकरार
याद आते हैं आज भी वो बचपन के दिन चार
बचपन की मासूमियत बचपन का वो प्यार
कहाँ गयी वो यादें वो अपना छोटा सा संसार
क्यों करते है आज हम आपस में तकरार
कभी कभी मैं सोचता हूँ
ये बड़ा होना है बेकार
फिर ख्याल आता है अगर ऐसा होगा
तो कैसे चलेगा ये संसार ..?
क्यों हम अपनी जवानी में सब कुछ भुला देते हैं
वो माँ का प्यार वो पापा का दुलार
न जाने हम उनको क्यों रुला देते है
खुद आधी रोटी खा कर भर पेट खिलाया हमको
खुद आधे बिस्तर पर सोकर रजाई में सुलाया हमको
क्या यही दिन देखने के लिए बड़ा किया उन्होंने हमको
हम तब भी उनके लिए बच्चे थे हम अब भी उनके लिए बच्चे हैं
वो तब भी प्यार करते थे वो अब भी प्यार करते हैं
क्यों नहीं सोचते हम
कल हम को भी बड़ा होना है
जिस जगह पर आज वो हैं …
उसी जगह पर अपने को पाना है .
जो उन्होंने सहा है
क्या हम सह पाएंगे
उनके अन्दर जो शक्ति है
क्या हम अपने अन्दर रख पायेंगे
अपने ही बच्चो के मुँह से क्या हम इतना सुन पायेंगे......
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