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Wednesday, 5 September 2012

पागल दिल था

कल तुम गुजर रहे थे ,
या कोई ग़ज़ल गुनगुना रहा था ….
कल आहट थी कोई पहचानी ,
या कोई दरवाजे पर आ आ के जा रा था ….
कल चाँद था फलक पर ,
या तेरा चेहरा मुस्कुरा रहा था ….
मैने बहुत रोका मगर ,
वो ना था ना नज़र आरहा था ….
पागल दिल था शायद तुझे ,
तुम्हे हर शे में पा रहा था |

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