आज यूँ ही बैठे बिठाए, मेरी आँखें नम हो गयी
ख्याल जो आया कि आधी ज़िन्दगी खत्म हो गयी
दवा ढूंढ रहा हूँ जिसकी, उस मर्ज़ का तो पता नहीं
पर वो मर्ज़ मिटाने की जिद में, ये सांसें कम हो गयीं
ख्याल जो आया कि आधी ज़िन्दगी खत्म हो गयी
दवा ढूंढ रहा हूँ जिसकी, उस मर्ज़ का तो पता नहीं
पर वो मर्ज़ मिटाने की जिद में, ये सांसें कम हो गयीं
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