भारत का जन जन अपनाये,
गीता के निष्कर्म को.
सर्वोपरि सब समझें केवल,
मानवता के परमधर्म को.
साक्षरता का दीप जला कर,
ज्ञान ज्योति घर घर फैलायें.
पीड़ित मानवता के दुःख को,
सारे जग से दूर भगायें.
प्रेम, दया, करुणा, नैतिकता,
से अपना संपर्क बढायें.
उंच नीच का भेद भूल कर,
सबको अपने गले लगायें.
सत्य अहिंसा के महत्व को,
खुद समझें जग को समझायें.
ऊँचे आदर्शों पर चल कर,
गौरवशाली देश बनायें.
विश्व शांति का पाठ पढ़ा कर ,
एक नया विश्वास जगायें.
भारत का हो मस्तक ऊँचा,
ऐसा कुछ कर के दिखलायें.
गीता के निष्कर्म को.
सर्वोपरि सब समझें केवल,
मानवता के परमधर्म को.
साक्षरता का दीप जला कर,
ज्ञान ज्योति घर घर फैलायें.
पीड़ित मानवता के दुःख को,
सारे जग से दूर भगायें.
प्रेम, दया, करुणा, नैतिकता,
से अपना संपर्क बढायें.
उंच नीच का भेद भूल कर,
सबको अपने गले लगायें.
सत्य अहिंसा के महत्व को,
खुद समझें जग को समझायें.
ऊँचे आदर्शों पर चल कर,
गौरवशाली देश बनायें.
विश्व शांति का पाठ पढ़ा कर ,
एक नया विश्वास जगायें.
भारत का हो मस्तक ऊँचा,
ऐसा कुछ कर के दिखलायें.
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